हर घर में हुई मां शैलपुत्री की आराधना

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बहेड़ी। शारदीय नवरात्र के पहले दिन घर-घर माता की चौकी सजी। भक्तों ने शक्ति की उपासना की। मंदिर पहुंचकर श्रद्घालुओं ने पूजा-अर्चना की। अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करके कलश स्थापना की। माता के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन किया गया।
रविवार की सुबह चार बजे से ही शहर के प्रमुख मंदिरों पर भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया था।
आज नवरात्र का पहला दिन है और इस दिन घटस्थापन के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन, अर्चन और स्तवन किया जाता है। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। पार्वती के रूप में इन्हें भगवान् शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ है।

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