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बहेड़ी- क्यों मनाते हैं धनतेरस का पर्व, क्या है इसका महत्व,

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क्यों मनाते हैं धनतेरस का पर्व, क्या है इसका महत्व


बहेड़ी । प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस दिवाली के दो दिन पूर्व मनाया जाने वाला त्योहार है,
शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। इसलिए इसे धनतेरस के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। इस दिन धन्वंतरि देव के साथ मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन बर्तन के अलावा कोई भी सामान खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार में जन्म लिया था। शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य हैं। इनकी पूजा से आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही हर साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। वहीं कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इसलिए धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली का पर्व मनाया जाता है।

यहां बता दें कि इस वर्ष दीप महापर्व छह दिनों का मनाया जाएगा। आमतौर पर इसे पंच दीपावली नाम से जाना जाता है। 10 नवंबर को धनतेरस से दीप पर्व की शुरुआत होगी। इसी दिन प्रदोष व्रत व शाम को यम दीपदान होगा। 11 नवंबर को नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली होगी। बड़ी दीपावली यानी महालक्ष्मी पूजन 12 नवंबर को होगा। 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या है। 14 को गोवर्धन पूजा व 15 नवंबर को यम द्वितीय व भैया दूज मनाया जाएगा।

ये खरीदने का विशेष महत्व
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, सोना, चांदी की ज्वेलरी या मूर्ति। पीतल के बर्तन। मिट्टी के दीये। झाड़ू खरीदना, तांबे का दीपक खरीदना अति शुभ कारक रहेगा

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